भदैयां, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश।
गाँव- 41, राज्य- अवध
उत्तर प्रदेश का 'राजकुमार' वंश, राजकुँवर का अपभ्रंश है जो कि मूलतः चौहान वंश है।
भदैयां राज के चौहान, पृथ्वीराज चौहान तृतीय के सीधे वंशजों में से हैं।
भदैयां राज के चौहान, पृथ्वीराज चौहान तृतीय के सीधे वंशजों में से हैं।
भदैयां राज के वर्तमान प्रमुख- श्री इंद्रप्रताप सिंह राजकुँवर परिवार के पैंतीसवें मुखिया हैं। इनका विवाह फूलपुर, बस्ती की रानी सरिता देवी से हुआ।ये वर्तमान में लखनऊ में निवासरत हैं।
तराईं के युद्ध के बाद चौहान साम्राज्य टूट गया, पृथ्वीराज चौहान के पुत्र अग्निराज गोविन्दराज चौहान दिल्ली से दक्षिण की ओर बढ़े और रणथम्भौर पर आधिपत्य स्थापित किया।
गोविन्दराज के पौत्र अग्निराज प्रह्लाद चौहान ने खुद को रणथम्भौर का स्वायत्त शासक घोषित कर सल्तनत के खिलाफ विद्रोह किया पर शिकार खेलते हुए गंभीर रूप से घायल होने में कारण प्रह्लाद की मृत्यु हो गयी।
प्रह्लाद के पुत्र वीरनारायण चौहान ने विद्रोह जारी रखा, दिल्ली के सुल्तान इलतुत्मिश ने इनके समक्ष संधि का प्रस्ताव रखा और दिल्ली बुला कर इन्हें धोखे से ज़हर दे कर इनकी हत्या कर दी।
वीरनारायण चौहान की मृत्यु के पश्चात् राज्य के उत्तराधिकारी उनके काका वागभट्ट बने।
वागभट्ट चौहान ने सुल्तान बलबन को 2 बार हराया।
इनके पौत्र हम्मीर देव चौहान ने दिग्विजय की शुरुआत की। अपने राज्य का विस्तार किया, इन्होंने कोटि-यज्ञ भी किया और ख़िलजी को हराया।
आगे रणथम्भौर पर सुल्तान का कब्ज़ा होने पर हम्मीरदेव के पुत्र अग्निराज रामदेव चौहान निर्वासित हो कर रणथम्भौर से अवध की ओर रवाना हो गए।
रामदेव के पुत्र ताकशाह सिंह चौहान को राजकुँवर की उपाधि मिली और ये सुल्तानपुर में गोमती किनारे आ कर बस गए।
यहाँ इन्होंने काफ़ी भूमि खरीदी और राजस्व जमाकर और ज़मीनें लेते गए, कुछ ही वर्षों में उनके राज का विस्तार हो गया।
तकशाह के पौत्र ईशरी सिंह राजकुँवर ने एक छोटी सेना तैयार की और आस पास के क्षेत्र पर भी आधिपत्य जमा लिया।
पंद्रहवीं शताब्दी के अंत और सोलहवीं की शुरुआत में बरियाड़शाह राजकुँवर के नेतृत्व में चौहानों की शक्ति चरम पर थी।
18वीं शताब्दी में अंग्रेजों से विद्रोह के कारण भदैयां राज का पतन हुआ...युवराज जोखा राजकुँवर से सभी उपाधियाँ छीन ली गयीं, महल, किले ज़ब्त हो गए।
गोविन्दराज के पौत्र अग्निराज प्रह्लाद चौहान ने खुद को रणथम्भौर का स्वायत्त शासक घोषित कर सल्तनत के खिलाफ विद्रोह किया पर शिकार खेलते हुए गंभीर रूप से घायल होने में कारण प्रह्लाद की मृत्यु हो गयी।
प्रह्लाद के पुत्र वीरनारायण चौहान ने विद्रोह जारी रखा, दिल्ली के सुल्तान इलतुत्मिश ने इनके समक्ष संधि का प्रस्ताव रखा और दिल्ली बुला कर इन्हें धोखे से ज़हर दे कर इनकी हत्या कर दी।
वीरनारायण चौहान की मृत्यु के पश्चात् राज्य के उत्तराधिकारी उनके काका वागभट्ट बने।
वागभट्ट चौहान ने सुल्तान बलबन को 2 बार हराया।
इनके पौत्र हम्मीर देव चौहान ने दिग्विजय की शुरुआत की। अपने राज्य का विस्तार किया, इन्होंने कोटि-यज्ञ भी किया और ख़िलजी को हराया।
आगे रणथम्भौर पर सुल्तान का कब्ज़ा होने पर हम्मीरदेव के पुत्र अग्निराज रामदेव चौहान निर्वासित हो कर रणथम्भौर से अवध की ओर रवाना हो गए।
रामदेव के पुत्र ताकशाह सिंह चौहान को राजकुँवर की उपाधि मिली और ये सुल्तानपुर में गोमती किनारे आ कर बस गए।
यहाँ इन्होंने काफ़ी भूमि खरीदी और राजस्व जमाकर और ज़मीनें लेते गए, कुछ ही वर्षों में उनके राज का विस्तार हो गया।
तकशाह के पौत्र ईशरी सिंह राजकुँवर ने एक छोटी सेना तैयार की और आस पास के क्षेत्र पर भी आधिपत्य जमा लिया।
पंद्रहवीं शताब्दी के अंत और सोलहवीं की शुरुआत में बरियाड़शाह राजकुँवर के नेतृत्व में चौहानों की शक्ति चरम पर थी।
18वीं शताब्दी में अंग्रेजों से विद्रोह के कारण भदैयां राज का पतन हुआ...युवराज जोखा राजकुँवर से सभी उपाधियाँ छीन ली गयीं, महल, किले ज़ब्त हो गए।
वंशावली:
अग्निराज अन्हिल- इन्हें चौवहनी की उपाधि मिली जिसे कालान्तर में चौवहन, चहमान फिर चौहान कहा जाने लगा।
वासुदेव चौहान
सामंतराज चौहान
नरदेव चौहान
अजयराज चौहान
विग्रहराज चौहान
चंद्र राज चौहान
गोपेन्द्र राज चौहान
दुर्लभ राज चौहान
गुवक चौहान
चन्दन राज चौहान
वाक्पति राज चौहान
विरायरम चौहान
चामुण्डा राज चौहान
दुर्लभ राज तृतीय
विग्रह राज तृतीय
पृथ्वीराज चौहान
अजयराज चौहान द्वितीय
अर्णव राज चौहान
विग्रह राज चतुर्थ
अमरंगे चौहान
पृथ्वीराज द्वित्तीय
सोमेश्वर चौहान
पृथ्वीराज तृतीय (कुल के महानतम शासक)
गोविन्दराज चौहान
बलहन् चौहान
प्रह्लाद चौहान
वीर नारायण चौहान
वागभट्ट चौहान
जैत्र सिंह चौहान
हम्मीरदेव चौहान
रामदेव चौहान
वासुदेव चौहान
सामंतराज चौहान
नरदेव चौहान
अजयराज चौहान
विग्रहराज चौहान
चंद्र राज चौहान
गोपेन्द्र राज चौहान
दुर्लभ राज चौहान
गुवक चौहान
चन्दन राज चौहान
वाक्पति राज चौहान
विरायरम चौहान
चामुण्डा राज चौहान
दुर्लभ राज तृतीय
विग्रह राज तृतीय
पृथ्वीराज चौहान
अजयराज चौहान द्वितीय
अर्णव राज चौहान
विग्रह राज चतुर्थ
अमरंगे चौहान
पृथ्वीराज द्वित्तीय
सोमेश्वर चौहान
पृथ्वीराज तृतीय (कुल के महानतम शासक)
गोविन्दराज चौहान
बलहन् चौहान
प्रह्लाद चौहान
वीर नारायण चौहान
वागभट्ट चौहान
जैत्र सिंह चौहान
हम्मीरदेव चौहान
रामदेव चौहान
तकशाह सिंह राजकुँवर
राजशाह सिंह राजकुँवर
ईशरी सिंह राजकुँवर
देवराज सिंह राजकुँवर
चामुण्डाराज राजकुँवर
माधो सिंह राजकुँवर
जय सिंह राजकुँवर
उदय प्रताप सिंह राजकुँवर
पूजनदेव राजकुँवर
बृज सिंह राजकुँवर
जयपाल सिंह राजकुँवर
विग्रहराज सिंह राजकुँवर
विजय चंद्र सिंह राजकुँवर
जैत्र सिंह राजकुँवर
प्रताप सिंह राजकुँवर
गंगा सिंह राजकुँवर
आनंदपाल सिंह राजकुँवर
कुम्भकर्ण सिंह राजकुँवर
मेघराज सिंह राजकुँवर
रूद्र सिंह राजकुँवर
विजयराज सिंह राजकुँवर
केशवदेव सिंह राजकुँवर
बरियाड़ शाह राजकुँवर
संग्राम राज सिंह राजकुँवर
रुस्तम शाह राजकुँवर
तेज सिंह राजकुँवर
पृथ्वीराज सिंह राजकुँवर
रूद्र प्रताप सिंह राजकुँवर
वीरभद्र सिंह राजकुँवर
सूर्य नारायण सिंह राजकुँवर
बरियाड़ सिंह राजकुँवर
जोखा सिंह राजकुँवर
हरिकिशन सिंह राजकुँवर
चंद्रभूषण सिंह राजकुँवर
इंद्रप्रताप सिंह राजकुँवर (वर्तमान प्रमुख)
Thanx a lot for enlightening us about our origin..looking forward for more informations on Rajput legacy..All d best..Jai Rajputana
ReplyDeleteyou're welcome Doc. Will post a detailed article in near future.
DeleteThanx a lot for enlightening us about our origin..looking forward for more informations on Rajput legacy..All d best..Jai Rajputana
ReplyDeletegood
ReplyDeletethanks hkm
DeleteNo words for ur state of knowledge man...
ReplyDeleteHats off... :)
No words for ur state of knowledge man...
ReplyDeleteHats off... :)
thanks Chauhan saab
DeleteRajputs are India's Pride. Keep updating us with Kingly tales of Rajputana Majesty, Doctor :)
ReplyDeleteSure,there's much more to come, till then you may go through other posts on this blog
DeleteThanks a lot u r brilliant man.keep it up.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई हम लोग बिजेथुआ महावीर के पास नरोत्तम पुर से है राजकुमार चौहान वंशी है।हम लोग की वंश बेल क्या है।
ReplyDelete